सोमवार, 29 जून 2009
फूहडता का स्वयंवर
अंताक्षरी, सारेगामा से शुरू हुए टीवी चैनलों पर रियलिटी शोज के सिलसिले में सर्वाधिक लोकप्रियता अमिताभ बच्चन प्रस्तुत कौन बनेगा करोडपति ने हासिल की थी। लेकिन इसके बाद विदेशी रियलिटी शोज की नकल का जो दौर चला तो वो कुख्यात आइटम गर्ल राखी सावंत के तथाकथित स्वयंवर तक पहुंच गया है। संगीत और डांस के रियलिटी शोज ने भी कुछ अच्छा दिया तो कुछ नौटंकिया भी दर्शकों के सामने पेश कीं। एक कुख्यात संगीतकार ने एक गरीब प्रतिभावान नन्हीं सी गायिका का शोषण किया और मंच पर ही झगडों के ड्रामे भी देखने में आए। लेकिन आइटम गर्ल का स्वयंवर तो गजब का ड्रामा है। बीते पांच छह साल मंे राखी सावंत झगडे टंटे, प्रेमी की पिटाई करते हुए मीडिया कवरेज कराने और दलेर मेहंदी के भाई मिका के साथ किस प्रकरण इत्यादि के कारण चर्चा में बनी रही है। इतना सब होने के बाद अब अगर राखी के स्वयंवर का प्रचार ऐसे किया जा रहा है मानो वो कहीं की राजकुमारी और पहली बार ही किसी पुरूष का वरण करने जा रही हो, मजाक ही लगता है। अभिषेक के साथ उनके रिश्ते और उनका सार्वजनिक फूहड प्रदर्शन टीवी दर्शक देख ही चुके हैं। वह भी इसलिए क्योंकि न्यूज चैनलों के पास क्या और क्यों दिखाना इसका कोई नैतिक पैमाना नहीं है। हालात ये है कि निजी रेडियो चैनलों पर कई दिनों से खुद राखी सावंत अपना प्रचार कर रही है, कि उसका स्वयंवर हो रहा है, जिंदगी का महत्वपूर्ण फैसला है, जरूर देखिएगा। क्या बात है, फूहडता की हद है। इतिहास और पौराणिक गाथाओं में स्वयंवर के कई उदाहरण मिलते हैं, कन्याओं के विवाह के लिए पिताओं ने ऐसे आयोजन किए और उसमें शूरवीरता के उच्चतम पैमाने तय कर विजेता को वरण करने का अवसर होता था। भगवान राम और माता सीता का विवाह भी स्वयंवर से ही हुआ था। लेकिन राखी के स्वयंवर को क्या कहा जाए, राजीव के. मिश्रा ने अपने ब्लाॅक पर इसे नगरवधु का स्वयंवर संज्ञा दी है। हो सकता है नारीवादियों को इस पर ऐतराज हो वह भी सख्त किस्म का लेकिन मिश्राजी पूरी तरह गलत भी नहीं कहे जा सकते। जिस तरह से एनडीवी जैसे अपेक्षाक्रत अच्छे और श्रेष्ठ चैनल समूह ने इमेजिन पर स्वयंवर रचवाया तो राखी सावंत का, कोई हस्ती भी उसके लिए ढूंढी जा सकती थी, वास्तव में स्वयंवर लगता। उदाहरण देना चाहूंगा, बीते साल छत्तीसगढ के एक गांव का, जहां एक रामचरित मानस को सांगोपांग अपनाए हुए एक परिवार ने अपनी बेटी को स्वयंवर के जरिए ही विदा किया। बेटी ने भी आदर्श जीवन साथी से प्रश्नोत्तर किए। यह विवाह सीता विवाह की ही तरह गरिमा और उच्च आदर्श वाला बन गया था। चैनल भी अपने स्वयंवर को गरिमामय और आदर्शमय बना सकता था, लेकिन राखी का चयन कर उसने इस संभावना को खत्म ही किया है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
5 टिप्पणियां:
अब क्या कहे
आपके एक एक शब्द से इस भोंडेपन के प्रति गुस्सा टपक रहा है पर क्या करें
सच यही है कि दिखाने के लिए अब शायद यही बचा है.
अरे भाई, अपनी एप्लेकेशन रद्द हो गई नही तो राखी से राखी बन्धवा आते।
आभार,
मुम्बई टाईगर
हे प्रभु यह तेरापथ
इन ड्रामो से सख्त परहेज रहने के बावजूद कल का पहला एपिसोड (नौटंकी) देखा....यह देखना चाहती थी की टी वी के स्तरहीनता की पराकाष्ठा क्या हो सकती है .....और देख लिया.....
अब तो भाई यही सब देखने को मिलेगा....देखना है तो देखिये नहीं तो आँख ढांप चुप हो पड़े रहिये...क्योंकि टी वी बाज़ार बिकने वाली चीजें तो बेचेगा ही.अब कोई उसने नैतिकता का ठेका थोड़े न ले रखा है...
और राखी सावंत......हा हा हा हा.....
अपने ड्राइवर से ही शादी कर लो राखी!
राखी सावंत का स्वयंवर एक महज मूर्खतापूर्ण मजाक है। 21 जुलाई को दिखाये गये एपिसोड में राखी सावंत ने मनमोहन तिवारी के घर जाकर परिवार के लोगों से मिलने के बाद सबके बारे में काफी भला-बुरा कहा। यहां तक कि राखी सावंत ने मनमोहन तिवारी से कहा कि तुमसे ज्यादा अच्छा तो मेरा ड्राइवर है।
अगर राखी सावंत का ड्राइवर वाकई मनमोहन तिवारी से ज्यादा अच्छा है तो वह अपने ड्राइवर से ही शादी क्यों नहीं कर लेती? उसे स्वयंवर करने की जरूरत ही क्या थी?
नेहा, रांची
एक टिप्पणी भेजें