रविवार, 17 सितंबर 2023

मोदी का तोड विरोधियों के पास नहीं

 

रविवार, 17 सितंबर 2023

मोदी की रफ्तार और समय की पदचाप बहुत पहले ही सुन समझकर उसी के मुताबिक प्लानिंग और उस पर वक्त से पहले ही मुकम्मल अमल की उनकी कार्यषैली की मुरीद भारत की जनता ही नहीं दुनिया का नेत्रत्व करने वाले प्रमुख मुल्कों के नेता भी हो चुके हैं। इसमें अतिसयोक्ति नहीं और न ही यह राग जय जयवंती का गान है  और न ही यह गोदी या भक्त या संघी या पत्रकारिता में सत्ता का पक्ष लेने की पक्षधरता है। हाल की दो तीन बातें हैं जिन पर तटस्थ होकर देखा जाए तो यही राय बनती है। कर्तव्य पथ के बाद नए संसद भवन का निर्माण, सेंगोल की स्थापना, जी-20 की भारत को मिली अध्यक्षता का प्रभावी उपयोग और साल भर देष भर में चले आयोजनों के बाद उसका दिल्ली में भव्य भारत मंडपम में समापन और दिल्ली घोषणा को अगर देखते हैं तो यह बहुत साफ है कि मोदी का नेत्रत्व भारत के लिए ताकत बनने और देष के लगातार बढने वाला साबित हो रहा है। देष अगर विष्व की अर्थ व्यवस्था में 10 वीं से पांचवी पायदान पर पहुंच गया है तो इसे लफ्फाजी कहना अपना ही मजाक उडवाना ही माना जाएगा। आज मोदी का 74 वां जन्म दिन है यानी वे 75 साल की उम्र पर पहुंच गए हैं लेकिन उनकी एनर्जी और लगातार अपने और अपनी सरकार तथा दल के लक्ष्यों की पूर्ति का उनका ट्रेक रिकार्ड रफ्तार पर कायम है। 

विपक्ष अगर मोदी विरोध में संसद भवन के उदघाटन से दूरी बनाने और लगातार देष की उपलब्धियों को नकारने की नीति पर चल रहा है तो यह मोदी को और ताकतवर बनाने के अलावा कुछ नहीं माना जा सकता है। विपक्ष की एकजुटता और मुद्दों पर सरकार को लगातार घेरना लोकतंत्र के लिए अच्छा है लेकिन साथ ही कुछ मामलों में विपक्ष को सरकार के साथ यानी देष के साथ खडा होना चाहिए लेकिन संसद भवन के उदघाटन से लेकर जी-20 समिट तक में विपक्ष ने यह न करके अपनी ही भूमिका को नकारने का काम ही किया है। मोदी विरोध की राजनीति के बजाए विपक्ष सरकार की नाकामी और विसंगतियों पर सरकार और सत्ताधारी दल को घेरने पर ध्यान केंद्रित करे तो विपक्ष मजबूत बन सकता है, क्योंकि मजबूत विपक्ष देष के लिए उतना ही जरूरी है जितना कि स्थिर और बहुमत वाली सरकार। दोनों में से किसी एक चीज का अभाव लोकतंत्र और देष के लिए अच्छा नहीं है। 

चंद्रयान मिषन में मोदी की भूमिका को नकारने का प्रयास विपक्ष के लिए जनता की नजर में नकारात्मक छवि ही बनाता है। जब चंद्रयान मिषन-2 अपने अंतिम क्षण में असफल हुआ तो पूरा देष सदमे में था और मोदी ने बतौर प्रधानमंत्री जब इसरो के अध्यक्ष को भावुक होकर गले लगाया तो वह क्षण चंद्रयान मिषन-3 की अवष्यंभावी सफलता की सुनिष्चितता बन गया था। जिस क्षण भारत के चंद्रयान मिषन ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपने हस्ताक्षर किए तो पूरा देष हमारे वैज्ञानिकों के साथ था और विदेषी की धरती से मोदी भी लाइव जुडे थे। वे स्वदेष लौटते ही इसरो पहुंचे और वैज्ञानिकों को बधाई दी। यह ऐसी तस्वीरें थीं जो देष ने लाइव देखी और फक्र महसूस किया वैज्ञानिकों की उपलब्धि पर और अपने प्रधानमंत्री पर। मोदी की योजनाएं और उन पर अमल की सतत मॉनीटरिंग की उनकी कार्यषैली विपक्ष को कोई मौका नहीं दे रही है। आज उन्होंने यषोभूमि का ष्षुभारंभ कर दिल्ली को वर्ल्ड क्लास राजधानी बनने के अपने विजन को विस्तार दिया है और विष्वकर्मा जयंती पर नई योजना लागू कर अपनी योजना को और विस्तार दिया। तेरह हजार करोड रूपए की यह पीएम विष्वकर्मा योजना न केवल देष की एक बडी आबादी और स्वदेषी को बढावा देने वाली होगी बल्कि जातियों में बांटकर राजनीति करने वाले दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव में भारी चुनौती बनकर सामने आएगी। आईएनडीआईए यानी इंडी एलाएंस बन तो गया है मोदी के खिलाफ लेकिन इसमें इतने विरोधाभास हैं अलाएंस का एकजुट बने रहना बहुत मुष्किल दिख रहा है। उप्र में उपचुनाव में कांग्रेस ने सपा का साथ दिया जिससे सपा घोसी सीट जीत गई लेकिन सपा ने उत्तराखंड में कांग्रेस प्रत्याषी के सामने प्रत्याषी उतार दिया जिससे कांग्रेस हार गई और भाजपा जीत गई। सर्वाधिक सीट वाले उप्र में सपा और कांग्रेस का लोकसभा चुनाव में इंडिया अलाइंस बना रह सकेगा!  यह प्रष्न और गहराएगा। यही हाल दिल्ली, पंजाब, हरियाणा में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच गहराएगा इसके आसार अभी से दिखने लगे हैं क्योंकि केजरीवाल की पार्टी राजस्थान, छत्तीसगढ और मप्र में कांग्रेस के खिलाफ उम्मीदवार उतारने को तैयार खडी है, विधानसभा चुनाव में यह हाल है तो लोकसभा चुनाव में यह दल अलाएंस बनाए रख पाएंगे। एक तरफ दलों के अलाएंस का मोदी विरोध का आधार कायम रह सकेगा या नहीं़? क्या पष्चिम बंगाल, केरल और अन्य राज्यों में इंडी अलाएंस कायम रह सकेगा? यह प्रष्न तो हैं ही मोदी की योजनाओं की ताकत भी विपक्ष के सामने बडी चुनौती होगी।