दर्द के ओढ।ने बिछौने हैं,
वक्त के हाथ हम खिलौने हैं।
बाहर हंसते रहे हम लेकिन,
उदास मन के कोने हैं। दर्द के ओढ।ने बिछौने हैं।
अभी तो तनहाई से इश्क बाकी है,
आंसुओं के हार भी पिरोने हैं।
दर्द के ओढ।ने बिछौने हैं।
तुम ही नासमझ बन जाओ बेबाक,
यहां तो सब सयाने हैं।
दर्द के ओढ.ने बिछौने हैं।
6 टिप्पणियां:
वाह ! बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण प्रवाहमयी गीत !!
बड़ा ही आनंद आया पढ़कर...आभार.
दर्द के ओढ़ने बिछोने हैं
उदास मन के कोने हैं
ये पंक्तियाँ बहुत ही सुन्दर लगीं |
अच्छी प्रस्तुति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bahut achchha likha hai aapne
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
अरे वाह, कमाल का मिसरा है। मिसरे के साथ पूरी गजल एक सुर में बहती हुई चली जाती है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
bahut khub sir lgta h har man ki ankahi apne khi
manisha
एक टिप्पणी भेजें