रविवार, 20 सितंबर 2009

सादगी वालों सुनो अरज हमारी......


मादाम सोनिया गांधी, चिरंजीव राहुल गांधी और सादगी के नए प्रणेता प्रणव मुकर्जी से लेकर कैटल क्लास मुहावरे के जनक शशि थरूर तक सब देवियों और सज्जनों से एक गुहार करने का मन हो रहा है। कांग्रेस की पीवी नरसिंहराव सरकार में एक रेल मंत्री थे सीके जाफर शरीफ। उन्हें आज भी लोग याद करते हैं, वह भी किसी भी यात्री गाड़ी के जनरल डिब्बे में। उन्हें लोग जिन विशेषणों से नवाजते हैं, उनका समर्थन नहीं किया जा सकता, क्योंकि शरीफ अब इस दुनिया में नहीं हैं। लोग भी क्या करें, उन्हें यह सब इसलिए कहना पड़ता है क्योंकि जनरल बोगी में सफर करना करीब करीब सजा भुगतने जैसा होता है। लोग शरीफ को कोसते हैं वो इसलिए कि उन्होंने तब तक जारी दिन में स्लीपर कोच में सफर कर सकने की सुविधा को खत्म कर दिया था। गाडिय़ों की संख्या तब से अब तक कई गुना बढ़ चुकी है लेकिन यात्रियों की तादाद से कहीं ज्यादा बढ़ी है। लेकिन जनरल केडिब्बों की संख्या नहीं बढ़ी। कम दूरी की यात्रा में रिजर्वेशन नहीं मिलने पर जो लोग ईमानदारी से जनरल बोगी में पहुंच जाते हैं, उनकी जो दशा इन बोगियों में होती है, वह शशि थरूर के मुहावरे का प्रत्यक्ष उदाहरण है। लंबी दूरियों की गाडिय़ों में लोग सामान रखने की जगह में शरीर को तोड़ मोड़कर सोए रहते हैं, सीटों के बीच में भी लोग सोते हैं। टायलेट मेें भी लोग खड़े और बैठे मिल जाएंगे। करीब करीब 16 साल से यही हालात हैं। हवाई जहाज के इकोनामी क्लास को कैटल क्लास कहनेवाले शशि थरूर को भले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मजाक के बहाने माफ कर दें और थरूर के बयान से वीवीआईपी महाशयों और देवियों को संतोष न हो लेकिन मेरी गुजारिश इन सादगी पसंदों से है, कृपया किसी एक्सप्रेस के खासकर मुंबई जाने वाली और मुंबई से उत्तर भारत की तरफ आने वाली गाडिय़ों के जनरल डिब्बे में एक दफा यात्रा जरूर करें, वह भी किसी पूर्व सूचना या प्रचार के। आपको सादगी का राग बंद करना पड़ेगा या फिर आप में जरा भी मानवीयता होगी तो भारतीय रेलवे में 16 सालों से जारी यह कैटल क्लास बंद कराने के लिए कुछ न कुछ जरूर करेंगे।

4 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

सतीश जी मुझे तो लगता है कि ...इन सबके लिये ये अनिवार्य कर दिया जाये कि ये कहीं भी आयें जायें ..सवारी वही आम कैटल क्लास वाली...ढोंग और सच का सामना...अपने आप दोनों बाहर आ जायेंगे....

राज भाटिय़ा ने कहा…

सतीश जी आप का लेख इन ड्रामे वाजो को जरुर पढना चाहिये, अगर एक दिन भी यह लोग इन डिब्बो मै ऎसे ही यात्रा करे जेसे आम आदमी करता है, या यह मंत्री बनने से पहले करते थे( सोनिया भी वेटर थी )तो मान जाऊ, अजी आप ने तो बिलकुल सच लिख दिया

संगीता पुरी ने कहा…

बहुत सही कह रहे हैं आप .. बढिया लगा आपका विश्‍लेषण !!

प्रवीण एलिया ने कहा…

bahut achcha laga chachcha ye lekh hum to UP Down kar rahe hai to roj train ke halat dekhte hai. bhich mai maj. cheking to bure halat kar diye the