गुरुवार, 8 अक्तूबर 2009

आचार्य त्रिखा को गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान

वरिष्ठ पत्रकार प्रो. नंदकिशोर त्रिखा को माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय ने गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान से अलंकृत करने निर्णय लिया है। वे नवभारत टाइम्स के संपादक रहे हैं और इस विवि के पहले प्रोफेसर,मैं इस विवि के पहले बैच का विद्यार्थी हूं, अपने आचार्य के सम्मान से मैं अत्यंत हर्षित हूं। अठारह साल पहले जब हम भोपाल में खुले इस विवि में आए थे, तो हमारे लिए पत्रकारिता की पढाई नई चीज थी और उनके लिए अध्यापन। वे तो वर्षों से पत्रकारिता से जुडे थे और मैं कुछ ही सालों से पत्र-पत्रिकाओं में लेखन के जरिए जुडा था। मैं डा. त्रिखा के बारे में कुछ अनुभव और संस्मरण यहां बांटना चाहता हूं। उनमें दो गुण ऐसे हैं जो किसी भी पत्रकार में होना ही चाहिए। पहला अध्ययन शीलता, दूसरा वक्त की पाबंदी। त्रिखा जी पत्रकारिता विभागाध्यक्ष तो थे ही वे हास्टल में हमारे वार्डन भी थे। वे कक्षाओं के बीच में अध्ययनरत रहते थे और देर रात गए तक उनका अध्यवसाय जारी रहता था। इसके बावजूद वे अलसुबह उठकर सैर कर आते थे और कक्षा में एक सेकंड भी विलंब नहीं होता था। आप उन्हें देखकर घडी मिला सकते थे। जब हम लोग अध्ययन यात्रा पर दिल्ली गए तब भी हमने उनकी वक्त की पाबंदी देखी। हम लोग साउथ ब्लाक मंे रूके थे और दिल्ली में उनका घर साकेत में है। हमारी गणमान्य लोगों से मुलाकात और मीडिया संस्थानों या संसद की कार्यवाही देखने के अपाइंटमेंट डा. त्रिखा ही करते थे, हर दिन जब भी हम लोग पहुंचते वे पहले से वहां हमारा इंतजार कर रहे मिलते थे। पत्रकारिता में उनकी सक्रियता और उनके सम्मान को हमने संसद से लेकर राष्टपति भवन तक देखा। उनकी सह्रदयता और विदयार्थियों से प्रेम खूब याद आता है। वे दिल्ली के हमारे व्यस्त अध्ययन दौरे में समय निकालकर हम सब को अपने घर ले गए और बहुत आत्मीयता से स्वागत किया। अब जबकि पत्रकारिता में मक्कारिता करने वाले कमोबेश सभी जगह हावी दिख रहे हैं, संपादक तक बन रहे हैं, त्रिखा जी को यह सम्मान मन को सुकून देता है, गौरवान्वित करता है।त्रिखाजी से जुडी एक और याद मेेरे मन में है। वो ताजा हो गई है कि वह अवसर शरद पूर्णिमा का था, मेरा जन्म दिन होता है। हम लोग हास्टल में नए थे, नया विवि, नए प्राध्यापक, शिक्षक साथी, भवन सब कुछ नया नया था। हास्टल में बात बात में किसी मित्र ने मेरी डेट आफ बर्थ पूछी तो मैंने कहा था कि तारीख से नहीं हम तो तिथि से याद रखते हैं, तिथि ही ऐसी है शरद पूर्णिमा। सितंबर की यह बात अक्टूबर में शरद पूर्णिमा को मित्रों ने रात हास्टल की छत पर आयोजन कर लिया, छात्राओं ने खीर बनाई, मिठाई मंगाई गई। चांदनी रात में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ, इसमें डा. त्रिखा, प्रो. कमल दीक्षित, मैडम दविंदर कौर उप्पल, सभी हास्टल निवासी छात्र छात्राएं शामिल हुए। मेरे मन में आज भी वो सुर गूंजते हैं, त्रिखाजी ने भजन सुनाया था- राह दिखा प्रभु...। इस पूरे आयोजन की बात फिर कभी। मुझे यह स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है कि हास्टल के सबसे दुर्दांत छात्रों मंे मैं शामिल था, त्रिखाजी हमसे बेहद दुखी रहते थे, लेकिन तब भी हम उनका तहे दिल से सम्मान करते थे। हां झूठी जी हुजूरी नहीं करते थे और मस्ती खूब करते थे। अनुशासन प्रिय त्रिखाजी को यह नागवार गुजरता था। खैर एक दिन रात को उन्होंने सन्नाटे में टाइपराइटर की खट-खट सुनी तो वे वहां पहुंच गए, जहां मैं टाइपिंग सीखने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने कहा कि बिना 15 लिखित अभ्यास सीखे टाइपिंग मंे निष्णात नहीं हुआ जा सकता। मैंने इसे चैलंेज बना लिया, रोज रात को टाइपिंग सीखता। कुछ दिन बाद मैंने उनके सामने स्पीड में टाइप करके दिखाया तो वे मुस्कराए और मुझे शाबासी दी। मुझे निबंध प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार मिला तब भी उन्होंने मेरी तारीफ, जब परीक्षा परिणाम आया तो उन्होंने सबसे पहले मुझे इसकी सूचना कि आप प्रथम श्रेणी में उतीर्ण हो गए हैं, प्रायोगिक परीक्षाओं में दूसरों से कम नंबर मिलने से मैं नाराज अवश्य था लेकिन आज सोचता हूं तो लगता है, अच्छे शिक्षक मिलना भी सौभाग्य होता है, मैं इस मामले में सौभाग्यशाली रहा। आखिर में वह वाकया जरूर बताना चाहूंगा, जो अब भी जेहन में ताजा है। त्रिखाजी जब भोपाल से जा रहे थे, हम दो तीन मित्रों को जो स्थानीय अखबारों में काम कर रहे थे, अचानक यह सूचना मिली तो हम भागे भागे रेलवे स्टेशन पहुंचे। शताब्दी एक्सप्रेस दिल्ली रवाना होने ही वाली थी, हम उनके कोच में पहुंचे, चरण स्पर्श किए। पुरानी सभी भूलों, उददंडताओं के लिए क्षमा मांगी, सह्रदय त्रिखाजी की आंखों में आंसू भर आए, हम भी अश्रु विगलित हो उठे। उन्होंने हमें आशीर्वाद दिया। गुरूओं का आशीष है, पत्रकारिता में 18 वर्षों के दौरान कई तरह के दौर में उनकी शिक्षा और अनुभव साये की तरह काम आए। आचार्य त्रिखा को गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान प्रदान करने के निर्णय पर उन्हें हार्दिक बधाई और नमन।

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