शनिवार, 15 मई 2010
रोने भी नही दोगे तो कहां जायेंगे
माया महाठगिनी हम जानी .. कि जगह राजनीति महाझूटी हम जानी कहा जाये तो ज्यादा सटीक होगा। मध्यप्रदेश में भाजपा और कांग्रेस में जो तमाशा चल रहा है। वो जनता के साथ तो मजाक सा तो बन ही गया है अब भावनाओं कि मानवीय अभिव्यक्ति को भी इस प्रहसन में शामिल कर हंसी उड़ाई जा रही है। भाजपा विधायक ललिता यादव को विधानसभा जाते वक़्त कांग्रेस विधायकों कि फब्तियों का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने यह बात विधानसभा में बताई तो स्पीकर रोहानी रो पड़े। इस वाकये को कांग्रेस ने अपनी संगोष्ठी में १९ साल पुरानी घटना से जोड़ कर कांग्रेस विधायक अजय अर्जुन सिंह भी रो पड़े। यहाँ तक तो ठीक है लेकिन शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं ने चोराहे पे रास्ता रोककर जनता को भरी गर्मी में रास्ते भटकने पे मजबूर किया। दूसरी तरफ विधयाकों ने खली बाल्टी लेकर प्रदर्शन किया। इसमें भी गोविन्द राजपूत रोने लगे। रोने को मजाक बना दिए जाने के यह प्रहसन उस वक़्त चल रहे थे जब मंडला में करंट लगने से २८ लोग बस में खाक हो रहे थे। सरकार विधानसभा में प्रतिपक्ष कि गैर्मोजूदगी में मध्यप्रदेश को स्वर्णिम बनाने कि योजनाओं पे खुद ही घोषणा कर अपनी ही पीठ थपथपा रही थी। जनता विधायक चुनती है। जनहित के काम करने के लिए ना कि आपस में तमाशे कि होड़ के लिए। ये नेता जनता को दुःख तकलीफ में रोने भी नही चाहते। इनका नारा है तकलीफें तुम्हे हसने नही देंगी और हम तम्हे रोने नही देंगे.
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2 टिप्पणियां:
sahi kaha satish ji...
magar machchh ke aasu hai usi kee khate hai
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