सोमवार, 7 जून 2010
ये तो तय ही था हमने कानून ही ऐसे बनाये हैं
भोपाल गैस कांड के २६ साल बाद सीजेमसी कोर्ट ने आज फैसला सुनाया। जैसा कि होना ही था मामूली सजा और ६ आरोपियों को जमानत मिल गयी। क्योंकि हमने कानून ही ऐसे बना रखे हैं। १५ हजार से ज्यादा मौतों और सतत जारी हादसे में ऐसा होना दुखद है। गौर किया जाये तो हमारी सरकारों ने नरसंघार के गुनहगारों को बचाने का काम किया। इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या होगी कि वारेन anderson को न केवल भारत से भागने दिया गया बल्कि उसे वापस लाने में नाकामी कि हमे कोई शर्म नही है। असल में सजा न केवल anderson और यूनियन कार्बाइड के अन्य करता धर्ताओं को मिलना चाहिए थी बल्कि मध्यप्रदेश के तत्कालीन सत्ताधीशों को भी सजा मिलना चाहिए क्योंकि हादसे के लिए वे भी उतने ही जिम्मेदार हैं जितना anderson एंड कम्पनी।
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4 टिप्पणियां:
बिल्कुल ठीक लिख रहे हैं और वे भी दोषी हैं जिन्होंने लापरवाही से हत्या के स्थान पर लापरवाही का मुकदमा करा दिया...
हमें भी ये इंसाफ मंजूर नहीं है। कानून कुछ तो इस त्रासदी पर विचार करें। उन बेगुनाहों पर विचार करे जिनकी जान इस त्रासदी ने ले ली।
कानून ऐसे ही बने रहेंगे। क्यों कि सरकार उन का प्रतिनिधित्व करती है जो उत्पादन के साधनों के स्वामी हैं। यह सरकार तो मामूली सजा देने वाले मुकदमों को दो-तीन सालों में निर्णय देने लायक न्याय प्रणाली भी उपलब्ध नहीं करा सकती है।
बहुत अफसोसजनक!
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