उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर रहे और आंध्र के राज्यपाल पद पर रहे एनडी तिवारी जिस वजह से बेआबरू होकर निकले हैं, न तो वह और न नही उनका जाना किसी को चौकाता है । एनडी जब केंद्र में मंत्री थे और कांग्रेस के प्रभावशाली ओहदेदार थे, तो मप्र की राजधानी भोपाल में उनका आना जाना लगा रहता था। आंध्र का मामला तो अब सामने आया है, यहां भोपाल में तो उनकी रसिया वृत्ति को इतने किस्से विख्यात हैं की सियासत, प्रशासन और पत्रकारिता से जुड़े हर शख्स के पास एक किस्सा मौजूद है, जो एनडी के शौक और मिजाज को कल्पना की परवाज पर चढक़र नवाबों, बादशाहों के जमाने सा लगने लगता है। जब सीडी खबरों में आई तो भोपाल में पहली प्रतिक्रिया सामने आई की कहीं लोकेशन भोपाल की तो नहीं? लेकिन जिस हमाम में एनडी सराबोर दिखाए गए उस हमाम में तो सेकड़ों नहीं तो दर्जनों बड़े बड़े नेता स्नानरत और निर्वस्त्र हैं। भोपाल में भी राजभवन के किस्से चर्चा में रहे हैं, एक लाट साब के तो इतने किस्से मशहूर हैं की शरीफ आदमी किस्सों से ही शरमा जाए। हालाँकि यह किस्से जुबानों पर ही हैं। एक मुख्यमंत्री के किस्से भी खासे मशहूर हैं। कई नामी पार्टियों के नामी नेताओं के अलग अलग किस्से मशहर हैं। एक दशक पहले एक युवा नेत्री की संदिगध हालात में मौत को लेकर भी कई चर्चाएं आज तक भोपाल और मप्र की फिजाओं में व्याप्त हैं। एक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे एक नेता, एक पूर्व मंत्री और कुछ अफसरों, पत्रकारों की भी ऐसी गजब की ही ख्याति है। सत्ता के केन्द्रों के इर्द गिर्द लाभातुर जमा होते ही हैं, काम्नियों का इस्तेमाल बतौर सीडी होता है, इसकी फिल्म सीडी धमाका करती है। भले एंडी तिवारी हों या संजय जोशी मकसद रस्ते के रोड़े हटाना इनका लक्ष्य होता है, समाज और नेतिकता से इसका वास्ता नही होता.
यह केवल एनडी तिवारी या किसी एक पार्टी या एक शहर या राजधानी का मामला नहीं है, दरअसल सत्ता का यही चरित्र है, भले वह राजनितिक , प्रशासनिक , पूंजी या किसी और तरह की सत्ता हो। इसमें अमूमन संघर्ष के बल पर हुआ उत्थान अंतत: धन, सुरा और सुंदरी गमन के रास्ते पतन की तरफ जाता है। लुब्बे लुआब ये कि इस हमाम में एनडी अकेले नहीं हैं।
रविवार, 27 दिसंबर 2009
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6 टिप्पणियां:
nice
बहुत सटीक हमामो के पीछे कई कुरता धारी छुपे रुस्तम भी होंगे....
इन मामलों में गांधी जी ही पक्के खिलाड़ी निकले ,डंके की चोट पर सत्य के प्रयोग
किये और सबके चहेते भी बने रहे !
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tiwariji ke kisse bhopal me bahut mahshoor hain.unke liye pwd se lal rang ka kaleen bichaya jata tha.vese ak rajneta ki bhi apni niji jindagi hoti he parntoo iske liye unhe rajnrrti chod dena chayiye.
- sanjay prakash sharma,bhopal
Hakikat Kya kabhi pata to chalegi nahi Ki Tiwari G hai Bhi ya nahi
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