शनिवार, 13 मई 2023

कांग्रेस को आक्सीजन, बीजेपी को तगड़ा झटका....

 जैसा प्री पोल सर्वे और एक्जिट पोल बता रहे थे कर्नाटक के चुनाव नतीजे वैसे ही आए। हिमाचल प्रदेश के  बाद कर्नाटक ने भी काँग्रेस को जोरदार विजय शक्ति से भर दिया है. पाँच साल पहले भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी  बनी थी,  जनादेश नहीं मिला था.  वोट प्रतिशत बना रहने के वाबजूद बीजेपी दूसरे नंबर खिसक गयी और काँग्रेस पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है.  बजरंग दल को पीएफआई के बराबर बताकर काँग्रेस ने जो दांव खेला उससे उसे जद- से. के मुस्लिम वोट में सेंधमारी का लाभ मिला,  दूसरी तरफ बजरंग दल की खिलाफ़त को हिन्दुत्व का अपमान साबित करने के बीजेपी के अभियान का उसे कोई फायदा  नहीं हुआ.  40 पर्सेंट भ्रष्टाचार का  मुद्दा बीजेपी पर भारी पड़ा. इसी साल मप्र समेत अन्य राज्यों के चुनाव में  भ्रष्टाचार को मुद्दा मानने से बीजेपी इंकार करेगी तो य़ह माना जाएगा की कर्नाटक से सबक नहीं लिया,  क्योंकि अभी सच को स्वीकारने और सुधार करने का समय है.                         हिमाचल में हारने से बीजेपी ने शायद सबक नहीं लिया, काँग्रेस ने हिमाचल की जीत को कर्नाटक में जारी रखा.  महाराष्ट्र-कर्नाटक विवाद का हल दोनों राज्यों और केंद्र में भी  बीजेपी सरकारें होने के वाबजूद नहीं करना बीजेपी की कर्नाटक में पराजय की बड़ी वज़ह बना.  मुंबई कर्नाटक और महाराष्ट्र कर्नाटक कहे जाने वाले क्षेत्रों में बीजेपी को इस बार काफी नुकसान हुआ.                                                        कर्नाटक में काँग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का लाभ मिला और पार्टी में आज तक एकजुटता भी बनी रही, इसे बरकरार रखने की चुनौती अब काँग्रेस के सामने होगी.  मुख्यमंत्री  तय करना आसान नहीं होगा.  पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान को मोदी को गाली साबित करने में बीजेपी नाकाम रही,  गुजरात का फ़ार्मूला कर्नाटक में  नहीं चला क्योंकि सामने कर्नाटक का अपना बेटा ही था.  कर्नाटक के घर घर का मिल्क ब्रांड नंदिनी के सामने गुजरात के अमूल को लाने का मुद्दा बीजेपी के खिलाफ गया,  आधा लीटर नंदिनी दुध देने के  वायदे ने इस मुद्दे पर बीजेपी को हुए नुकसान की भरपाई नहीं की.  आने वाले चुनावों में अन्य राज्यों में भी बीजेपी को एसे मुद्दों का सामना करना पड़ सकता  है.                              अपने गृह राज्य हिमाचल में पार्टी की सरकार बरकरार ना रख सके बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को कर्नाटक की पराजय का कुछ तो हलाहल पीना ही पड़ेगा.  दूसरी तरफ अपने गृह राज्य कर्नाटक में बम्पर जीत से मल्लिकार्जुन खड़गे को ताकत मिलेगी और उन्हें कठपुतली बताने वाली बीजेपी की  जुबान पे इस मामले में ताला लग सकेगा.  सोनिया गांधी की कर्नाटक चुनाव में उपस्थिति भी काँग्रेस के लिए संजीवनी बनी ऐसा कहा जा सकता है,  इसका उल्था करें तो सवाल बनता है की मोदी ना गए होते तो बीजेपी का और क्या हुआ होता.                         2024 की सम्भावनाओं के मद्देनजर देखें तो कर्नाटक में जद-से.  के  हश्र से क्षेत्रीय दलों को सबक लेना होगा. मुस्लिम वोट बैंक की दम वाले दल एसपी,  जद-यू, राजद, तृणमूल काँग्रेस इत्यादि 2024 में काँग्रेस के पास जायें या दूर ही रहें? महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे का दल काँग्रेस की वैसाखी पर रहेगा तो रहेगा या नहीं ये बड़ा सवाल होगा.                                             आज ही उत्तर प्रदेश में  ट्रिपल इंजन के नारे पर बीजेपी की निकाय चुनाव में हुई बम्पर जीत ने काँग्रेस की देश के सबसे ज्यादा 80 लोकसभा सीट वाले प्रदेश में हालात को फिर सतह पर रखा है.  कर्नाटक से उत्साहित काँग्रेस को यूपी के आईने में अपनी चुनावी शक़्ल देख लेना चाहिए क्योंकि राजस्थान में पार्टी की रार ही सरकार बरकरार रहने कहे खिलाफ संकेत दे रही है, वहां सरकार हर 5 साल में बदलने का रिवाज भी है,  हालांकि हिमाचल में य़ह बरकरार रहा उत्तराखंड में बदल गया.  कुल मिलाकर काँग्रेस को आक्सीजन और बीजेपी को चिंतन कर्नाटक चुनाव नतीजे दे चुके हैं,  डी के शिवकुमार या sidhdharamaiyya में से कौन ये प्रश्न अभी कई नाटक दिखा सकता है,  कर्नाटक की सियासत का य़ह अहम किरदार है  हिस्सा है. बीजेपी और काँग्रेस के अलावा अन्य दलों के लिए कर्नाटक 2023 के नतीजे 2024 के लिहाज से कई संदेश दे चुका है.  सतीश एलिया

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