शुक्रवार, 9 सितंबर 2022

आज मेरा भोपाल दिवस

 आज मेरा ' भोपाल दिवस ' है.... 9.9.1991 को अमृतसर दादर एक्सप्रेस से बोरिया बिस्तर लेकर हबीबगंज स्टेशन पर उतरा था... माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पहले बैच में प्रवेश पहले ही ले चुका‌ था, छात्रावास सुविधा मिली तो एक साल का डेरा जमा। फिर सतत पत्रकारिता के तीन दशक, छह संस्थान, अन्य दर्जनों असाइनमेंट। बीजेएमसी‌ के बाद पत्रकारिता के 12 से 18 घंटे तक की रोज की आपाधापी के साथ एमए हिन्दी, एमजेएमसी, एलएलबी भी कर सका। अध्यावसाय कभी नहीं छोड़ा। अखबार, रेडियो, टीवी पत्रकारिता और पत्रकारिता शिक्षण, पुस्तक लेखन हर विधा में भरपूर मौका और संतोष मिला। इन तीन दशक के दौरान मिला मान सम्मान, स्नेह अपार। गंजबासौदा और भोपाल जैसै घर आंगन। कभी करियर बनाने भोपाल नहीं छोड़ा, अवसर‌ और प्रस्ताव विनम्रता से अस्वीकार किए, लेकिन इसका नुकसान भी उठाना पड़ा, सहर्ष उठाया कोई अफसोस नहीं। न नैहर  छोड़ा न भोपाल। न आतंक से न प्रलोभन से खोजी, भ्रष्टाचार को बेनकाब करती, जनहित की पत्रकारिता को प्रभावित होने दिया। धमकियां, हमले, अन्य नुकसान झेले, टिका रह सका, प्रभु की कृपा है। मौद्रिक धन संग्रह नहीं किया, संतोष धन भरपूर मिला, सहयोग की पूंजी से मालामाल रहता आया, प्रोत्साहन अपार मिला। इन तीन दशक के दौरान साथ रहे, पल पल उंगली पकड़कर संभालते रहे, भूलों को क्षमा करते रहे सभी आत्मीय मित्रों, वरिष्ठजनों का ह्रदय से आभार, जो बिछुड़ गए उन दिवंगत मार्गदर्शक अग्रज, गुरुजनों को नमन, सबको दोऊ कर जोरि प्रणाम।

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