- बीती विधानसभा में स्पीकर ने निकनेम हटाने का दिया था मशविरा, सात ने ही अपने नाम के साथ हटाई थी उर्फियत
-2013 में तीन दर्जन जीते थे, इस बार चार दर्जन हुए विजयी, आधा दर्जन ऐसे िवधायक टिकट गवां बैठे या सीट
सतीश एलिया, भोपाल
बीती विधानसभा में उर्फियत वाले 26 विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा ने उर्फियत न लिखने का मशविरा दिया था, इसमें उन सभी ने नाराजगी दिखाई थी, इसके बावजूद सात ने अपने नाम के साथ चस्पा निकनेम को हटा िलया था, जबकि 19 ने अपनी इस पहचान को बनाए रखने को अपना हक मानकर इसे हटाने से इंकार कर दिया था। इस चुनाव में उर्फियत, वल्दियत, निकनेम वाले विधायकों की संख्या में 12 फीसदी का इजाफा हो गया है। अब 30 फीसदी विधायक इस खासियत वाले हैं । यह तब है जब ऐसी पहचान वाले करीब एक दर्जन प्रत्याशी हार गए हैं और आधा दर्जन तत्कालीन विधायकों को उनकी पार्टियों ने टिकट ही नहीं दिया था।
नेताओं की उनके निकनेम, गांव के नाम या पिता के नाम के कारण पहचान नई बात नहीं है। चुनाव जीतने के लिए पिता के यश का लाभ भी मिलता है, इस वजह से कई नेता कभी कभी चुनाव में इसका उपयोग करते रहते हैं। बीती विधानसभा में यह पहली दफा ही हुआ था जब अध्यक्ष डा. सीतासरन शर्मा ने विधायकों से निकनेम से बचने की सलाह दी थी। हालांकि विधायकों ने इसे नाराजी में लिया था, इसके बावजूद सत्ताधारी दल के कई विधायकों ने न चाहते हुए भी निकनेम को विदा कर दिया था। विधानसभा और राज्य सरकार के रिकार्ड में उनके नाम अगले वर्षों में बिना िनकनेम के ही चलते रहे, हालांकि उनमें से ज्यादातर ने इस साल टिकट मिला तो चुनाव में पहले की ही तरह निकनेम का प्रयोग किया। ताजा विधानसभा चुनाव में निकनेम, प्रोफेशन नेम, गांव के नाम और वल्दियत या पति के नाम वाले 63 विधायक चुने गए हैं। यह संख्या पांच पहले की तुलना में 22 ज्यादा है। प्रतिशत में बात करें तो इस मामले में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है।
नाम के साथ निकनेम, पिता, पति, गांव के नाम की पताका
2013 में ये जीते थे
माया सिंह मामी
केपी सिंह कक्काजू
गोपाल सिंह चौहान डग्गी राजा
भूपेंद्र भैया
इंजी. प्रदीप लारिया
हरवंश सुक्कू भैया
कुं. विक्रम सिंह उर्फ नातीराजा
गुड्डन पाठक पुष्पेंद्रनाथ
अहीर रेखा यादव
राजेंद्र कुमार सिंह दादाभाई
पंडित मुकेश नायक
नीलम अभय मिश्रा
पं. रमाकांत तिवारी
कमलेश्वर इंद्रजीत कुमार
अजय अर्जुन सिंह
संदीप शिवप्रसाद जयसवाल
प्रभात पांडे बड़े बाबू
शरद जैन एडवोकेट
सुशील कुमार तिवारी इंदू भैया
हिना लिखीराम कांवरे
गौरीशंकर चतुर्भुज बिसेन
दिनेश राय मुनमुन
पं.रमेश दुबे
चौधरी चंद्रभान सिंह कुबेर सिंह
हेमंत विजय खंडेलवाल
संजय शाह मकड़ाई
कुंवर हजारीलाल दांगी
राजेंद्र फूलचंद वर्मा
आशीष गोविंद शर्मा
कुंवर विजय शाह
योगिता नवल सिंह बोरकर भाभी
अर्चना िचटनिस दीदी
हितेंद्र ध्यान सिंह सोलंकी
रतन सिंह रावजी आर्य
सुरेंद्र सिंह हनी बघेल
मनोज निर्भय सिंह पटेल
मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़
उषा ठाकुर दीदी
संगीता विजय चारेल
जितेंद्र थावरचंद गहलोत
राजेश यादव धर्मवीर सिंह
2018 में ये जीते
बनवारीलाल शर्मा जापथाप
संजीव सिंह संजू
मुन्नालाल गोयल मुन्ना भैया
जसमंत जाटव छितरी
सुरेश धाकड़ राठखेड़ा
केपी िसंह कक्काजू
महेंद्र सिंह सिसौदिया संजू भैया
जजपाल सिंह जज्जी
गोपाल सिंह चौहान डग्गी राजा
भूपेंद्र भैया
इंजी.प्रदीप लारिया
तरवर सिंह बंटू भैया
विक्रम सिंह नातीराजा
नीरज विनोद दीक्षित
आलोक चतुर्वेदी पज्जन भैया
कुंवर प्रद्युम्न सिंह लोधी मुन्ना भैया
धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी
पुरुषोत्तम रामकली तंतुवाय
डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाहा
विक्रम िसंह विक्की
कमलेश्वर इंद्रजीत कुमार
सुभाष रामचरित्र
शिवनारायण िसंह लल्लू भैया
विजय राघवेंद्र िसंह बसंत िसंह
संदीप श्रीप्रसाद जायसवाल
प्रणय प्रभात पांडे गुड्डू भैया
संजय यादव सिवनी टोला
सुशील कुमार तिवारी इंदू भैया
भूपेंद्र मरावी बबलू
हिना लिखीराम कांवरे
रामकिशोर नानो कावरे
प्रदीप अमृत जायसवाल गुड्डा
टामलाल रघुजी सहारे
दिनेश राय मुनमुन
योगेंद्र िसंह बाबा
नर्मदा प्रसाद प्रजापति एनपी
जालम सिंह पटेल मुन्ना भैया
संजय शर्मा संजू भैया
कमलेश प्रताप शाह
चौधरी विजय मेर सिंह
विजय रेवनाथ चौरे
नीलेश पुसाराम उइके
निलय विनोद डागा
संजय शाह मकड़ाई
प्रेमशंकर कुंजीलाल वर्मा बघवाड़ा
शशांक श्रीकृष्ण भार्गव
लीना संजय जैन टप्पू
राजश्री रुद्रप्रताप सिंह
िवक्रम सिंह राणा गुड्डु भैया
मनोज नारायण सिंह चौधरी
कुंवर विजय शाह
सुरेंद्र सिंह हनी बघेल
ठाकुर सुुरेंद्र नवल सिंह शेरा भैया
सचिन सुभाषचंद्र यादव
रवि रमेशचंद्र जोशी
केदार सिंह चिड़ाभाई डाबर
मुकेश रावत पटेल
नीना विक्रम वर्मा
राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव
विशाल जगदीश पटेल
आकाश कैलाश विजयवर्गीय
मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़
हर्ष विजय गहलोत गुड्डू
राजेंद्र पांडेय राजू भैया
देवीलाल धाकड़ एडवोकेट
अनिरुद्ध माधव मारू