शुक्रवार, 1 अप्रैल 2016

खुश होइए, हैप्पीनेस बस आने ही वाली है


                   - सतीश एलिया
आखिर दुनिया में ऐसा कौन है जो खुश नहीं होना चाहता, या यों कहिए कि ऐसा कौन है दुनिया में जो यह कहता हो कि मैं तो पूरी तरह खुश हूं दुखी तो मैं हूं नहीं, होता ही नहीं। इस असार संसार में दुख ही दुख है, ऐसा जानकार, अनुभव करके ही तो सिद्धार्थ गौतम ने बुद्धत्व की महायात्रा शुरू की थी। अब आप सोच रहे होंगे कि मैं आध्यात्मिकता पर लैक्चर क्यों दे रहा हूं, यह काम तो बाबाओं का है, श्री श्री वगैरह का जो आर्ट आफ लिविंग सिखाते हैं और देश के कानून को धता बताने में भी नहीं चूकते। सरकार अपने वालों की हो तो फिर कानून से क्या डरना, वहीं सैंया भए कोतवाल का नया संस्करण। लेकिन जुमले वालों की दुनिया में इधर हमारे मध्यप्रदेश की सरकार एकदम नई चीज लाई है, कम से कम भारत में तो नया फंड है ही प्रशासन, शासन सरकार का। हमारे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान कर दिया है कि सरकार अब हैप्पीनेस मंत्रालय या विभाग बनाएगी जो लोगों को खुश रखने का काम करेगी। गोया खेती को लाभ का धंधा बनाना, किसानों की आय दोगुना करना, गरीबी रेखा के नीचे दबे लोगों को रेखा के ऊपर लाना, बेरोजगारी खत्म करना, बीमारों को इलाज मुहैया कराना, भ्रष्टाचार खत्म करना इत्यादि काम पूरे हो चुके तो अब लोगोें को खुश कर लिया जाए। उधर केंद्र की सरकार विभागों की संख्या कम करने में लगी है और इधर हमारी राज्य की सरकार महकमे बढ़ाने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देती या यों कहें कि खोज खोज कर नए महकमे बनाने में आगे रहती है। कई बातों में अव्वल रहने के बाद अब हैप्पीनेस मंत्रालय या विभाग बनाने में भी मप्र ने बाजी मर ली। जो भी हो अब मुझे सहूलियत महसूस हो रही है। वह इसलिए कि चौराहों पर, मंदिरों के बाहर बैठे दीन, दुखियों की चिंता में मुझे रोज रोज के अपराध बोध से मुक्ति मिल जाएगी। क्योंकि सरकार ने हैप्पीनेस का काम भी अपने हाथ में ले लिया है। बकायदा विभाग बनेगा, कैबिनेट मंत्री होगा, राज्य मंत्री होगा, प्रमुख सचिव, सचिव, अपर सचिव, उप सचिव, अवर सचिव, अधीक्षक, सेक्शन आफिसर, ग्रेड एक से तीन तक के सहायक होंगे, वाहन होंगे, डीजल, पेट्रोल लगेगा, बकायदा बजट होगा। हैप्पीनेस मंत्र देने वालों को काम मिल जाएगा। आयोग भी बन सकता है, उसमें सदस्य बनेंगे, उनके दफ्तर, गाड़ी, घोड़ा, अर्दली, चपरासी होंगे। कुछ नहीं तो नए महकमे से हजार दो हजार लोगों को रोजगार तो मिल ही जाएगा। कुछ तो बेरोजगारी कम होगी, व्याख्यान देने वालों को प्रशिक्षण देने वालों को भी दो पैसे मिलने की आस बंधेगी। मैं हमेशा आशावादी रहना चाहता हूं और दीन दुखियों के दुखों का अंत होने और जीवन में हैप्पीनेस आने की उम्मीद से भी में आशान्वित हूं। ईश्वर करे हमारे प्रदेश में सब सुखी हों। आखिर हमारे मुख्यमंत्री का कोई भी भाषण सर्वे भंवतु: सुखिन: के बिना पूरा नहीं होता, तो फिर सरकार में यह मंत्रालय अथवा विभाग भी होना ही चाहिए। मेरे लायक कोई काम निकले तो जरूर बताईएगा सरकार, सरकार के सलाहकारों। 

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