सोमवार, 19 दिसंबर 2011

अदम गोंडवी को नमन


जन कवि अदम गोंडवी का आज देहावसान हो गया मेरी उनसे भोपाल में मुलाकात हुई थी जैसी कविता ठीक वैसे ही थे वे। उनकी कवितायें जो मुझे तत्काल जेहन में आ रही हैं वे ये हैं

एक

जुल्फ - अंगडाई - तबस्सुम - चाँद - आईना -गुलाब

भुखमरी के मोर्चे पर इनका शबाब

पेट के भूगोल में उलझा हुआ है आदमी

इस अहद में किसको फुर्सत है पढ़े दिल की किताब

इस सदी की तिश्नगी का ज़ख्म होंठों पर लिए

बेयक़ीनी के सफ़र में ज़िंदगी है इक अजाब

डाल पर मजहब की पैहम खिल रहे दंगों के फूल

सभ्यता रजनीश के हम्माम में है बेनक़ाब

चार दिन फुटपाथ के साये में रहकर देखिए

डूबना आसान है आंखों के सागर में जनाब


दो


जो उलझ कर रह गई फाइलों के जाल में

गांव तक वो रोशनी आयेगी कितने साल में

बूढ़ा बरगद साक्षी है किस तरह से खो गई

रमसुधी की झोपड़ी सरपंच की चौपाल में

खेत जो सीलिंग के थे सब चक में शामिल हो गए

हमको पट्टे की सनद मिलती भी है तो ताल में

जिसकी क़ीमत कुछ न हो इस भीड़ के माहौल में

ऐसा सिक्का ढालिए मत जिस्म की टकसाल में
तीन

हाथ में विह्स्की का गिलास भुने काजू प्लेट में उतरा है रामराज्य विधायक निवास में.

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