रविवार, 31 अक्तूबर 2010

५४ का हुआ मेरा मध्यप्रदेश

मेरा राज्य मध्यप्रदेश १ नवम्बर को ५४ साल का हो रहा है। दस बरस पहले इसका एक हिस्सा अलग होकर नया राज्य ३६ गढ़ बन चुका है। १९५६ में विंध्यप्रदेश, मध्यभारत, सीपी एंड बरार का हिस्सा ३६ गढ़ और महाकौशल अंचल मिलकर मध्यप्रदेश बना था। इसमें राजस्थान की टोंक रियासत के सिरोंज और लटेरी को भो शामिल किया गया। इन ५६ सालों में एक प्रदेश का जैसा भाव जागना था नही जाग पाया। प्रदेश ने प्रगति तो की लेकिन जैसी हो सकती थी नही हो पायी। जयादातर वक़्त कांग्रेस की सरकारें रहीं करीब १२ साल जनता पार्टी और बीजेपी की सरकार के रहे। आरोप प्रत्यारोप की बात नही है, लेकिन यह सच है की भरपूर संसाधन और मेहनती जनता के बाबजूद देश के नक़्शे पे मध्यप्रदेश पिछड़ा राज्य बना रहा। हमें इसे अगड़ा बनाने के लिए काम करने की जरूरत है। प्रदेश के प्रतिभाशाली राज्य के बहार सफलता का परचम लहराते रहे हैं, लहरा रहे हैं। क्रन्तिकारी चंद्रशेखर आजाद, स्वर कोकिला लता मंगेशकर, अप्रतिम गायक किशोरकुमार.अभिनेता अशोककुमार रज़ा मुराद, शरद सक्सेना, प्रेमनाथ, जया भादुरी,चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसेन, सैयद हैदर रज़ा, सरोद साधक उस्ताद अमजद अली, संगीत समराट तानसेन, सलीम जावेद की जोड़ी के सलीम, साहित्यकार पत्रकार पंडित माखनलाल चतुर्वेदी, राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी इसी धरा की संताने हैं। जनप्रिय अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर शंकरदयाल शर्मा तक और हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद तक मध्यप्रदेश के लालों की श्रंखला है। पहली दफा किसी सरकार ने अपना मध्यप्रदेश का भाव जगाने की शुरुआत की है। मध्यप्रदेश गान बना है। पार्श्व गायक शांतनु मुखर्जी यानि शान ने इसे सुर दिया है और मध्यप्रदेश के सपूत जबलपुर के संगीतकार आदेश श्रीवास्तव ने धुन बनाई है। इसे लिखा है पत्रकार महेश श्रीवास्तव ने। मधुर गीत जनता की जुबान पे चढ़ भी गया है। माँ की गोद पिता का आश्रय, शुभ का ये सन्देश है, सुख का दाता सबका साथी मेरा मध्यप्रदेश है॥ मध्यप्रदेश दिवस पे राज्य देश और विदेश में मौजूद सभी मध्य्प्रदेशियों को मेरी बधाई और ढेरों शुभकामनाएं।