शनिवार, 15 अगस्त 2009
62 सालों में हमने सर्वाधिक प्रगति भ्रष्टाचार में की...
अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति की 62 वीं सालगिरह पर उन सबको मुबारकवाद जो देश से प्यार करते हैं और किसी भी किस्म का कोई भ्रष्टाचार नहीं करते, जिनकी आबादी देश की आबादी का 95 फीसद है, और जो किसी न किसी रूप में भ्रष्टाचार से पीडित हैं। बिना पैसा दिए अपनी ही जमीन की नपती नहीं होती, नामांतरण नहीं होते, पात्रों को भी योजनाओं का फायदा बिना कमीशन दिए नहीं होते, बिना कमीशन सडक नहीं बनती, कोई निर्माण कार्य नहीं होते। पोस्टिंग में रिश्वत, तबादले में रिश्वत, खबर छपने, रूकने, दिखाने, नहीं दिखाने में लेनदेन, खेलों में घोटाले, टिकिट वितरण में खेल, मंत्री बनने नहीं बनने देने में खेल, दवाओं मंे मिलावट, दूध में मिलावट, किसी कोई चीज नहीं जिसमें मिलावट जमकर न होती हो। कालाबाजारी, बेईमानी, मक्कारी सार्वजनिक जीवन के हर क्षेत्र में इस कदर समाई है कि ईमानदारी को एक तरह से बेवकूफी की श्रेणी में रखने की हिमाकत अब सामान्य बात है। मैं यह सब इसलिए कह रहा हूं क्योंकि आप भी देख रहे हैं और मैं भी यह सब देख रहा हूं। मैंने उस सेवा के लोगों को अपने मातहतों के जरिए खुलेआम पैसे लेते देखा है जिनके बारे में कुछ लिखना भी मानहानि के दायरे में आ जाता है। पूरे देश ने देश की सबसे बडी पंचायत में प्रश्न पूछने नहीं पूछने वोट देने नहीं देने में रिश्वत का खुला खेल सीधे प्रसारण के जरिए उजागर होते देखा है। ऐसा नहीं है कि बस यही पक्ष है और देश ने प्रगति नहीं की है। देश ने निःसंदेह 62 सालों मंें बेहतर प्रगति भी की है, आवागमन, संचार, स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर अन्य सभी जरूरतों में सहूलियतें काफी बढी हैं लेकिन भ्रष्टाचार कैंसर की तरह हर क्षेत्र में समा गया है। हमारा लोकतंत्र परिपक्व हुआ है अब लोग नारों के आधार पर प्रचार से प्रभावित होकर मतदान नहीं करते, वे वादे पूरे नहीं करने वाली सरकारों को बदल डालते हैं। लेकिन अब धर्म और जाति के नाम पर टिकिट तय होना और वोट डाले जाना ज्यादा हो गया है। न जनता भ्रष्टाचार को मुददा मानती है और न ही सरकार की प्राथमिकता उसे खत्म करने की है। बातें जरूर सब पारदर्शिता की करते हैं। डा. मनमोहन सिंह ने आज लाल किले की प्राचीर से यही कहा और भोपाल के लाल परेड मैदान पर मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान भी यही बोले । लेकिन सही मायने में हमारे लोकतंत्र को भ्रष्टाचार से लडने की जरूरत है। सरकारों के स्तर पर भी और जनता के स्तर पर भी इससे लडना हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। अन्यथा शातिर, चालाक, बेईमान और भ्रष्ट लोगों का राजनीति, प्रशासन, पत्रकारिता से लेकर हर सार्वजनिक पेशे में दबदबा कायम होने का सिलसिला थमेगा नहीं और हमारे देश को विश्व शक्ति बनाने का हमारा सपना पूरा हो गा नहीं। आप सबको आजादी की सालगिरह की मुबारकबाद, जय हिंद।
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2 टिप्पणियां:
आदरणीय, आश्वस्त रहें परिवर्तन प्रारंभ हो चुका है
स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं...........
आदरणीय, आश्वस्त रहें परिवर्तन प्रारंभ हो चुका है
स्वतंत्रता दिवस की ढेरों शुभकामनाएं...........
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