सोमवार, 1 फ़रवरी 2010

अरे खां अपना सैफू तक पदमसिरी हो गया


एक दिन सुबह सुबह में भोपाल की सब्जी मंडी पहुंच गया, गरज थी आसमान पर टंगे सब्जी के भाव मंडी में थोडे से नीचे नजर आ जाते हैं। महंगाई का रोना नहीं सुनाउंगा, वो सुनिए जो मैंने वहां सुना। एक सब्जी वाले ने दूसरे से कहा- सुनो खां अपना सेफू पदमसिरी हो गया है। दूसरे ने कहा कौन सेफू! पहला बोला अरे वो फिलमों में आता है हैगा, अपने नब्बाव पटौदी का बेटा, राजकपूर की बोती का नाम गुदवा कर घूमता हैगा। दूसरे ने पूछा अरे खां ये पदमसिरी क्या होता हैगा, कोई नई फिलिम बना रिया है क्या पटौदी का पूत। पहला बोला- अमां इसीलिए तो केते हैंगे कुछ पेपर वेपर पढाकरो, देनिक भासकर नईं पढा आज का, उसमे छपा है पदमसिरी इस साल किस किसको मिला है, सुनते हैं बडे काम और नाम वालों को मिलता है, ईडियट, तारे जमीन पे बनाई तो आमिर खान को भी पदम वाला इनाम मिला है, लेकिन सेफू से छोटा वाला। दूसरा बोला अमां पदम फदम तो हम नई जानते ये .....महंगाई मारे डाल रई है, सरकार आंखों में पटटी बांधकर ओर कानों में रूई फसाके बैठ गई है। पहले ने सुर मिलाकर कहा मियां के तो सई रए हो, ये ....सरकार ....करे डाल रई है। दोनों सब्जी वाले ग्राहकी में जुट गए और हम हर सब्जी पर चार आठ आने बचाने की जददोजहद में लग गए, पदम सिरी का मसला खत्म हो गया।
सुना है पदमश्री बांटने वालों को इससे मतलब नहीं होता कि कौन किस क्षेत्र में दिग्गज है, या उसका क्या अवदान है, उन्हें तो बस इससे मतलब होता है कि एप्रोच किसकी लगी है। सब जानते हैं सैफ अली पटौदी कैसे और किस दर्जे के कलाकार हैं, फिल्मों में उनका क्या योगदान है, सामाजिक तौर पर वे कितने जिम्मेदार हैं, उनके पिताजी अर्थात टाइगर पटौदी को भोपाल से कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में उतारा था, भोपाल नवाब के नवासे पटौदी को भोपाल के मतदाताओं ने लाखों वोटों से हरा दिया था, कांग्रेस अब भी निभा रही है, पटौदी पुत्र को पदमश्री से नवाजा गया। कहते हैं पुरस्कार की आबरू पुरस्कार पाने वाले से बढती है, अब कोई ढंग का आदमी पदम पुरस्कार न मिल जाए इससे बचता फिरने लगे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। रही बात ठाकरे की तो वे महाराष्ट में साइड लाइन हो गए हैं, देश की उन्हें चिंता होती तो बाकी 25 राज्यों के नागरिकों से पाकिस्तान टाइप व्यवहार उनकी पार्टी और उनके भतीजे की पार्टी नहीं करती, ठाकरे से तो अपना टेटू वाला सेफू ही भला, बेचारा किसी को भाषा, प्रांत के आधार पर पीटने का आव्हान तो नहीं कर रहा, रही बात पदम पुरस्कारों की तो जो वाकई समाज में कुछ करना चाहते हैं, करते हैं पुरस्कारों के मोहताज नहीं होते।

7 टिप्‍पणियां:

निर्मला कपिला ने कहा…

वाह लिखने का अन्दाज पसंद आया धन्यवाद

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

हर साल न जाने कितनों को पदमश्री मिलती है लेकिन इस बार जब इन अनोखे लाल को मिली तो लोगों को लगा कि भैया इसको भी करीना के अलावा कुछ मिल सकता है क्‍या? लेकिन सरकार तो गरीब जनता को भी ऐसे ही मुफ्‍त में अनाज बाँटती है तो ऐसे गरीब अभिनेता को भी दे दिया। एक‍ ताम्रपत्र नवाब के बेटे के घर भी सही। बढ़िया पोस्‍ट, बधाई।

विजयप्रकाश ने कहा…

गधों को हाथी की सवारी

कमलेश वर्मा 'कमलेश'🌹 ने कहा…

अँधा बांटे रेवड़ियाँ ,मुड़-मुड़ अपनों को दे ...सुंदर रचना ,,

Sanjeet Tripathi ने कहा…

bahut sahi, sam-samyik

प्रवीण एलिया ने कहा…

Bhopal se haisiyat khatm ho gayee to Kya hua, Upar to pakad baki hai. Filme nahi chalti to kya karina to hai.
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. Chplushi Jindawad

Unknown ने कहा…

sahi likha hai sir... bharat sarkar ki scheme ka fayda hai uthaya hai usne... approach lao... puraskar le jao!!!