मंगलवार, 26 जनवरी 2010
मध्यप्रदेश राजपथ से फिर गायब
भले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अमरकंटक में आओ बनाएं अपना मप्र यात्रा शुरू कर रहे हों और वे राष्ट्रीय खेल हॉकी की दुर्दशा की भी चिंता कर रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस समारोह में लगातार दूसरी बार मप्र की झांकी शामिल नहीं हुई है। राजपथ पर हृदयप्रदेश की झांकी नहीं होने के बीच जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही उजागर होती है। सूत्रों के मुताबिक पिछले साल की तरह इस साल भी करीब 15 लाख रुपए लैप्स हो जाएंगे, जो राजपथ पर शानदार झांकी के लिए खर्च किए जाना थे। झांकी शामिल होने के लिए चयन प्रक्रिया में कई स्तरों पर श्रेष्ठता सिद्ध करना होती है, लेकिन स्वर्णिम मप्र का राग अलाप रही सरकार के जिम्मेदार अफसरों की इसमें रूचि नहीं है। उल्लेखनीय है कि पिछली बार की तरह आज भी राजपथ पर पूर्वोत्तर और दक्षिण के छोटे छोटे राज्यों की झांकियां शान से निकलीं लेकिन देश के दूसरे सबसे बड़े राज्य मप्र की उपस्थिति नहीं थी। मप्र के पड़ोसी राजस्थान की झांकी पहले नंबर पर थी, मणिपुर की दूसरे नंबर पर, तीसरे नंबर पर बिहार, चौथे पर पड़ोसी महाराष्ट्र की, कर्नाटक, मेघालय,मिजोरम त्रिपुरा, जम्मू कश्मीर, की झांकियों ने खूब मन मोहा। छत्तीसगढ़ की झांकी आई तो मप्र के विदिशा की सांसद सुषमा स्वराज अत्यंत प्रसन्न आईं। केरल की मनोहर झांकी अदभुत थी। उत्तराखंड के कुंभ मेले का दृश्य आस्था की झलक दिखा गया। लेकिन टीवी स्क्रीन पर अपना प्रदेश देखने को आतुर मप्र के नागरिकों को अपने प्रदेश की झांकी देखने को नहीं मिलने से वे बेहद मायूस हुए। देखना ये है कि मुख्यमंत्री इस बार इस मामले में कोई कदम उठाते हैं या नहीं, या मप्र में ही मप्र बनाओ यात्रा से ही संतुष्ट रहते हैं।
बुधवार, 20 जनवरी 2010
बसंत कलेंडर पर लिखी तारीख नहीं
सोमवार, 11 जनवरी 2010
नेपाल की टीम आई कश्मीर की नही
भोपाल में शुरू हुए राष्ट्रीय ग्रामीण खेलों में भाग लेने देश के 22 राज्यों के अलावा पड़ोसी देश नेपाल से भी टीम आई है लेकिन हमारे अपने ही राज्य जम्मू कश्मीर की टीम नहीं आई। यह आयोजन मप्र सरकार के स्कूल शिक्षा महकमे ने किया है लेकिन कश्मीर के नहीं आने की किसी को चिंता नहीं है। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता को हाल ही में जम्मू में आयोजित समारोह में पनुन कश्मीर संस्था ने सम्मानित भी किया था। कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग कहते नहीं थकने वाली भाजपा की सरकार में कश्मीर की ग्रामीण खेल टीम का नहीं आना, और उस पर कोई गौरोफिक्र नहीं होना किस बात को दर्शाता है? क्या कश्मीर में गांव नहीं हैं?सवाल यह है कि जब कश्मीर के सेबफल से लेकर शॉल तक मप्र की गली गली में आ सकते हैं तो टीम क्यों नहीं आई? स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर यह जरूर कह रहे हैं कि हमने तो सभी राज्यों को न्यौता भेजा था, जम्मू कश्मीर भी इनमें शामिल है।
शनिवार, 2 जनवरी 2010
थ्री नहीं, मैनी मोर हैं वे तो भैया

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