शनिवार, 15 जनवरी 2011
मप्र सरकार से नत्थी हो गया नत्था
विदर्भ में किसानों की आत्महत्या की घटनाआंे की ऋंखला को लेकर कांग्रेस और उसकी सरकार को निशाने पर लेती रही भारतीय जनता पार्टी अब किसानों की खुदकुशी के मामले पर ही बैकफुट पर आ गई है। मध्यप्रदेश में एक महीने के दौरान किसानांें की आत्महत्या और इसके प्रयास के आधा दर्जन मामलों ने किसान पुत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संघपुत्री भाजपा के किसान हितैषी होने के ढोल की पोल खोल दी है। कर्ज से लदे दो किसानों ने तो मुख्यमंत्री के जिले सीहोर में ही अपनी जान दे दी। कलेक्टर ने एक किसान को तो पागल करार देने की कुचेष्टा की। दमोह में किसान की मौत पर उसे किसान ही मानने से इंकार कर चुकी सरकार को इन दोनों की मामलों में अखबारों ने बेनकाब कर दिया। अपने कुकर्मों से ही मर रहे हैं किसान, यह बयान देकर सरकार की नाकामी पर पर्दा डालने की कोशिश में किसान कल्याण महकमे के मंत्री रामक्रष्ण कुसमरिया भी मुसीबत में फंस गए। उनके अपने जिले दमोह में किसान मर रहे हैं या जीवन खत्म करने की कोशिश में जुट गए हैं। शर्मनाक बात ये है कि पिछले महीने किसानों की जायज मांगों को लेकर अपने ही कुनबे की सरकार का भोपाल में घेराव कर चुके आरएसएस के किसान संगठन भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा भी बेतुके बयान से लैस होकर घूम रहे हैं। सरकार के जिन वादों पर किसान आंदोलन उन्होंने खत्म कराया था, वे तो पूरे ही नहीं हुए, शर्माजी ने किसानों की खुदकुशी को पीपली लाइव फिल्म का असर बता डाला। पीपली लाइव फिल्म की शूटिंग मध्यप्रदेश के ही रायसेन जिले में हुई थी, जो मुख्यमंत्री और इन शर्माजी के अपने जिलों के अलावा राजधानी से भी सटा हुआ है। हालत ये है कि मुख्यमंत्री अपनी सरकार के साथ नत्थी हो गए पीपली लाइव के नत्था से पल्ला झाडने के लिए मीडिया की मदद लेने में जुट गए हैं। आलम ये है कि गुरूवार को रीवा में लगे अंत्योदय मेले में सरकार ने भाजपा अध्यक्ष गडकरी तथा अन्य नेताओं को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया। गडकरी ने प्रदेश में किसानों की आत्महत्या के मामले में एक शब्द तक नहीं कहा उलटे शिवराज सरकार की जमकर तारीफ कर डाली। इतना ही नहीं यह भी कहा कि मप्र में किसानों को तीन प्रतिशत ब्याज दर पर कर्ज मिल रहा है जबकि मेरे राज्य महाराष्ट्र में 14 प्रतिशत ब्याज दर है। गडकरी को शायद नहीं मालूम कि मप्र में ब्याज दर पांच से घटाकर तीन प्रतिशत करने का आदेश अप्रैल में जारी होने के 9 महीने बाद भी सरकार के ही वित्त विभाग ने सहकारी बैंकों की सब्सिडी दो प्रतिशत बढाने की मंजूरी नहीं दी है। बैंक पांच फीसदी ही ब्याज वसूलेंगे, ऐसा हुआ तो किसान मरते रहेंगे और ऐसा नहीं हुआ तो बैंक मरने लगेंगे, जिन्हें केंद्र सरकार ने वैद्यनाथन कमेटी की सिफारिश पर 2100 करोड रूपए की मदद देकर जिंदा किया गया है। मध्यप्रदेश में जब किसान बदहाल है किसान पुत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पुश्तैनी गांव मंे महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरि महाराज रामकथा कह रहे हैं, यजमान हैं मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी, इस आयोजन पर सरकार के खजाने से 10 लाख रूपए खर्च हो रहे हैं।
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